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रहस्यमयी शिवमंदिर, अश्वत्थामा ने की स्थापना, कपाट खुलने पर शिवलिंग पर चढ़े मिलते हैं फूल-बेलपत्र

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लखीमपुर-खीरी। जिले में वैसे तो शिव मंदिर काफी प्राचीनकाल से नर्मदेश्वर महादेव मंदिर (ओयल), छोटी काशी शिव मंदिर समेत अनेक स्थापित है पर जिले में महाभारतकालीन लिलौटीनाथ शिव मंदिर अपनी महत्ता और पौराणिकता के लिए विख्यात है। शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर जुनई और कंडवा नदी के बीच स्थित लिलौटीनाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि शिवलिंग की स्थापना द्वापर युग में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने की थी। किवदंती है कि अश्वत्थामा और आल्हा उदल इस मंदिर में प्रथम पूजा करते हैं। कपाट खुलने से पहले शिवलिंग पूजित मिलता है और रंग बदलता है।
चमत्कारी शिवलिंग पर खुद ही चढ़ जाते हैं पुष्प और बेलपत्र! 
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पांडव जब वनवास गए थे तो अश्वत्थामा ने ही इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी पुजारी ये भी बताते हैं कि आज भी इस मंदिर में जब सुबह कपाट खोले जाते हैं तो शिवलिंग पर पुष्प और बेलपत्र आदि चढ़ा मिलता है।
सावन में यहा पूरे महीने भंडारे और पूजा अर्चना चलती रहती है भक्त कहते हैं कि भोले की कृपा अपने भक्तों पर खूब बरसती है मंदिर के बारे में बताते हुए एक शिवभक्त रवि पाण्डेय कहते हैं कि भोले बाबा की महिमा वैसे तो अपरम्पार है, पर बाबा लिलौटीनाथ की इस इलाके में खास पहचान है।
आकृति बना शिवलिंग बदलता है रंग!
बाबा का शिवलिंग चमत्कारी है इसमें शिव पार्वती की आकृति दिखती है लिलौटीनाथ बाबा के दर्शन के लिए आसपास के जिलों से श्रद्धालु आते हैं। शिवभक्त और बाबा के दर्शनों के लिए आए लोगों का कहना है कि जब भी हमने बाबा से कुछ मांगा तो हमे मिला।


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