आज की ताजा खबर

स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती पर विलोबी का नाम हटाकर स्मारक को मिला क्रांतिकारी का नाम

top-news

लखीमपुर-खीरी। खिलाफत आंदोलन में क्रांतिकारियों के हाथों मौत के घाट उतारे गए अंग्रेज कलेक्टर की याद में बने स्मारक में आजादी का पहला सबसे बड़ा जश्न मनाया गया था 15 अगस्त 1947 के पहले किसी ने सोचा भी न होगा कि कभी यह भवन स्वाधीनता समारोह का साक्षी बनेगा। इसी भवन में आजादी का पहला जश्न मनाया गया था। जिले में एक तरफ अहिंसात्मक आंदोलन चल रहा था तो दूसरी ओर बहुत से क्रांतिकारी सशस्त्र क्रांति के पक्षधर थे, जो अपने ढंग से अंग्रेजी सत्ता उखाड़ फेंकने को तत्पर थे। इसी सशस्त्र क्रांति के तहत अंग्रेज कलेक्टर विलोबी का वध हुआ था। आज कचहरी रोड पर बना शहीद नसीरुद्दीन मौजी भवन है, जो कभी अंग्रेज कलेक्टर विलोबी की याद में बनाया गया था। जानकारी मुताबिक,खिलाफत आंदोलन से प्रेरित होकर आज से 102 साल पहले क्रांतिकारियों ने बकरीद के दो सप्ताह पूर्व जिलाधीश और कप्तान आदि अफसरों का वध करने की योजना बनाई थी 26 अगस्त 1920 को नसीरुद्दीन मौजी अपने दो साथियों बसीरुद्दीन और माशूक अली के साथ अंग्रेज कलेक्टर विलोबी के आवास पर पहुंचे थे, जब विलोबी अपने कैंप कार्यालय में बैठा था। इसी दौरान क्रांतिकारियों ने ललकारने के बाद तलवार के दो वार करके विलोबी का काम तमाम कर दिया। विलोबी की हत्या करने के बाद नसीरुद्दीन मौजी अपने साथियों के साथ शहर के कसाई टोला में जा छिपे थे। मुखबिर की सूचना पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
नसीरुद्दीन मौजी और उनके तीनों साथियों पर मुकदमा चला। नसीरुद्दीन मौजी से सफाई में गवाहों की सूची मांगी गई तो उन्होंने महात्मा गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद और मौलाना शौकत अली का नाम दिया। अदालत ने इन गवाहों को तलब करने की इजाजत नहीं दी। मुकदमे की औपचारिकता पूरी करने के बाद इन तीनों को फांसी की सजा दी गई। इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए तीनों क्रांतिकारी सीतापुर जिला जेल में फांसी के फंदे पर झूल गए।

कलेक्टर आवास पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे नसीरुद्दीन उर्फमौजी
 थरवरनगंज निवासी नसीरुद्दीन उर्फ मौजी कलेक्टर आवास पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। इस कारण उनका कलेेक्टर आवास में बेरोकटोक आना जाना था। इससे उन्हें विलोबी की हत्या करने में आसानी हुई। उन्हें सीतापुर जेल में फांसी दी गई थी। आज भी जिले में उनके नाम से कोई प्रत्यक्ष रूप से कोई स्मारक नहीं है। नसीरुद्दीन के वंशज आज भी थरवरनगंज मोहल्ले में रहते हैं, जिन्हें वतन पर शहीद होने वाले अपने पुरखों पर गर्व है।
आजादी के 50 साल बाद मिला शहीद को सम्मान!
नसीरुद्दीन की शहादत के बाद अंग्रेज परस्त लोगों ने नसीरुद्दीन मौजी के नाम से कोई स्मारक बनवाने की बजाय अंग्रेज कलेक्टर विलोबी की याद में विलोबी मेमोरियल हाल का निर्माण कराया। स्वतंत्रता दिवस की स्वर्ण जयंती के मौके पर जिला प्रशासन ने विलोबी मेमोरियल हाल का नाम बदलकर नसीरुद्दीन मौजी भवन कर दिया। मौजूदा समय में यही भवन शहीद नसीरुद्दीन मौजी का स्मारक है। इसमें एक लाइब्रेरी भी संचालित है 15 अगस्त 1947 को यहां स्वतंत्रता दिवस का भव्य समारोह हुआ था, जिसमें जिले भर के स्वतंत्रता सेनानी जुटे थे और स्वतंत्रता दिवस को विजय उत्सव के रूप में मनाया था। तब से हर स्वतंत्रता दिवस पर इस भवन में कार्यक्रम होते हैं।


https://lokbharti.co.in/ad/adds.jpg

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *