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मौसम साफ होते ही खरीफ की फसलें सहेजने में जुटा किसान

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भरुआ सुमेरपुर। शनिवार को सुबह मौसम साफ होते ही किसान खेतों की तरफ दौड़ पड़ा और बारिश से बर्बाद हुई खरीफ की फसलों को सहेजने में जुट गया है। बारिश से सर्वाधिक नुकसान धान की फसल को हुआ है। साथ ही लगातार मौसम खराब होने से दलहन तिलहन बोने का समय किसानों के हाथों से फिसल गया है। इस वर्ष गेहूं के रकवे में इजाफा होने की उम्मीद बढ़ गई है बंगाल की खाड़ी से उठे तूफान मोंथा का कहर अब शांत होने लगा है। शनिवार को सुबह से धूप खिली। इससे किसानों ने राहत की सांस ली और भोर से ही खेतों की ओर दौड़ लगाकर बारिश से बर्बाद हुई खरीफ की फसलें सहेजने में जुट गया है
किसान धीरेंद्र यादव, सुरेश कुमार, अट्टी नामदेव, उदयभान यादव, मानसिंह भदौरिया आदि ने बताया कि बारिश से सर्वाधिक नुकसान धान की फसल को हुआ है। इसमें 50 फीसदी से अधिक नुकसान हुआ है। ऐसा उनकी याददाश्त में पहली बार हुआ है जब धान की सबसे महफूज फसल में नुकसान उठाना पड़ रहा है। 
बिदोखर पुरई के किसान सुरेश यादव, कामता प्रसाद, अनूप कुमार ने बताया कि अधिक बारिश होने से तालाब का पानी ओवर फ्लो होकर खेतों में घुस गया है। पंपिंग सेट लगाकर पानी को निकालकर फसल बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
वहीं किसान चंद्रपाल, धनीराम साहू, राम आसरे, रामस्वरूप वर्मा, रामेश्वर वर्मा, वरदानी कुशवाहा, उस्मान खान, राजेश खंगार, हीरालाल विश्वकर्मा आदि ने कहा कि कार्तिक मास की इस बारिश में दलहन एवं तिलहन की फसलें बोने का मौका हाथ से छीन लिया है। अब केवल गेहूं बोने का समय बचा है। इससे इस रबी सीजन में गेहूं का क्षेत्रफल बढ़ने की पूरी संभावना बन गई है


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