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19 साल बाद फिर एक साथ आ सकते हैं उद्धव-राज

- दैनिक लोक भारती
- 19 Apr, 2025
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 19 साल बाद एक बार फिर साथ आने के लिए तैयार हो गए है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे ने इस बात का संकेत देते हुए कहा कि उनके राजनीतिक मतभेद हैं, विवाद हैं, झगड़े हैं, लेकिन महाराष्ट्र की एकता के आगे यह सब छोटे है। महाराष्ट्र में मराठी लोगों के हित के लिए साथ आना जरूरी है और इसी वजह से यह चर्चा हो रही है कि दोनों भाई एक साथ दिख सकते है।
राज ठाकरे ने कहा, 'मैं मराठी और महाराष्ट्र के हित के लिए छोटे-मोटे विवादों को भी दरकिनार करने के लिए तैयार हूं। लेकिन मेरी एक शर्त है। लोकसभा में हम कह रहे थे कि महाराष्ट्र से सभी उद्योग गुजरात ले जाए जा रहे हैं। अगर हमने उस समय इसका विरोध किया होता तो वहां सरकार नहीं बनती। राज्य में ऐसी सरकार होनी चाहिए जो महाराष्ट्र के हितों के बारे में सोचे। पहले समर्थन करना, अब विरोध करना और फिर समझौता करना, यह काम नहीं करेगा। यह तय करें कि महाराष्ट्र के हितों के रास्ते में आने वाले किसी भी व्यक्ति का मैं स्वागत नहीं करूंगा, मैं उनके साथ नहीं बैठूंगा। फिर महाराष्ट्र के हित में काम करें।'
उद्धव ने आगे कहा कि हमने अपने मतभेद सुलझा लिए हैं, लेकिन पहले यह तय कर लें कि किसके साथ जाना है। मराठी हित में आप किसके साथ जाएंगे, यह तय कर लीजिए। फिर बिना शर्त समर्थन दीजिए या विरोध कीजिए, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मेरी एकमात्र शर्त महाराष्ट्र का हित है। लेकिन बाकी लोगों को, इन चोरों को, उनसे न मिलने की शपथ लेनी चाहिए, जाने-अनजाने में उनका समर्थन या प्रचार नहीं करना चाहिए। उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे को इस तरह जवाब दिया है। दरअसल एक साक्षात्कार में राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के साथ आने का संकेत देते हुए कहा था कि महाराष्ट्र के हित में हमारे विवाद महत्वहीन हैं। उद्धव ठाकरे ने इसी बयान पर प्रतिक्रिया दी है।
जो महाराष्ट्र में रहता है उसे मराठी आनी ही चाहिए'
उद्धव ने कहा कि आइये, मुंबई में सालों से रह रहे अमराठी लोगों को मराठी सिखाएं, इसका अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। कई उत्तर भारतीय लोग कक्षाओं में आ रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी आनी चाहिए, यह अनिवार्य होना चाहिए।
'हम मराठी भाषी, कट्टर देशभक्त हिंदू हैं'
उद्धव ने कहा कि अंधाधुंध घूमने से हम हिंदू नहीं बन जाते। हिंदी बोलने का मतलब है कि हम हिंदू हैं, गुजराती बोलने का मतलब है कि हम हिंदू हैं... बिल्कुल नहीं। हम मराठी भाषी, कट्टर देशभक्त हिंदू हैं। लेकिन वे वक्फ बोर्ड के माध्यम से, भाषाई दबाव के जरिए लोगों के बीच संघर्ष भड़काना चाहते थे और इस तरह के विधेयक को मंजूरी दिलाना चाहते थे। उनका मिशन है कि कोई भी एक साथ न आए
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