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ग्राम पंचायतों में ही नहीं, क्षेत्र पंचायत कदौरा द्वारा मनरेगा योजना में चल रहा फर्जीबाड़ा?

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उरई (जालौन)। मनरेगा योजना में अकेली ग्राम पंचायतों द्वारा ही नहीं बल्कि क्षेत्र पंचायत द्वारा भी बीडीओ कदौरा के संरक्षण में ऐसा भ्रष्टाचार रूपी फूल खिला हुआ है जो भीषण गर्मी के मौसम में भी नहीं मुरझा रहा। मनरेगा योजना में जहां क्षेत्र पंचायत द्वारा मगरायां गांव में बगैर काम कराये ही कथित तरीके से भुगतान कराने की पटकथा लिखने का प्रयास किया जा रहा है तो वहीं विकासखंड की कई ग्राम पंचायतों में भी मनरेगा योजना में मजदूरों के हितों की अनदेखी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। ताहरपुर गांव में भी मजदूरों की फर्जी फोटो अपलोड कर भ्रष्टाचार का तड़का लगाने का प्रयास जा रहा है। जब उक्त संबंध में डीसी मनरेगा से जानकारी करने के लिये उनके मोबाइल नंबर पर कॉल की गयी तो कई कॉल करने के बाद भी उन्होंने रिसीब नहीं किया जिससे उनकी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी।
केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना में जनपद के नौ विकासखंडों में मनरेगा मजदूरों को छप्पर फाड़कर काम दिया जा रहा है। मनरेगा मजदूरों को काम देने में महेबा विकासखंड पहले पायदान पर खड़ा नजर आ रहा है तो वहीं कदौरा विकासखंड भी दूसरे नंबर पर अपनी उपस्थित दर्ज करा रहा है। अब बात करते हैं कि कदौरा विकासखंड के ग्राम पंचायत ताहरपुर में जहां जलरोक बांध निर्माण में 141 मजदूरों काम देना कागजों में दर्शाया गया तो वहीं मनरेगा साइड पर जो फोटो अपलोड की गयी उसमें महज 8-10 मजदूरों फावड़ा, तसला लिये खड़े नजर आ रहे हैं। मनरेगा योजना में मजदूरों की हाजिरी लगाने का काम रोजगार सेवक व मेट करते हैं। यही लोग मस्टर रोल में अपलोड कराते हैं। इसी के साथ बगैर काम कराये ही मनरेगा मजदूरों को मेड़बंदी व खेतों के समतलीकरण के नाम पर खेला चलता रहता है। लेकिन मनरेगा योजना में यही खेला करने के लिये क्षेत्र पंचायत कदौरा भी अग्रिम पंक्ति में पहुंचने को उतावली देखी जा रही है। क्षेत्र पंचायत की देखरेख में ही मगरायां में मनरेगा योजना में कागजों में ही काम करना दर्शाकर लाखों रुपयों का कथित तरीके से भुगतान कराने का तानाबाना बुनकर पूरा जाल फैला दिया गया। जबकि हकीकत में गांव के किसी भी ग्रामीण को मौके पर एक भी मजदूर काम करते नहीं मिला। जब लोक भारती ने ग्राम पंचायत ताहरपुर में मनरेगा योजना में मजदूरों को फर्जी तरीके से काम देने की पोल खोली तो जिम्मेदार हक्के बक्के रह गये। तो वहीं क्षेत्र पंचायत कदौरान द्वारा ग्राम मगरायां में बगैर काम कराये ही मनरेगा योजना से लाखों रुपयों का भुगतान निकालने की मंशा पर कुठाराघात होने से जिम्मेदार अधिकारी जबाब देने से कतराते नजर आये। जब उक्त संबंध में डीसी मनरेगा से जानकारी करने के लिये उनके मोबाइल नंबर पर लगातार कई बार कॉल की लेकिन उन्होंने फोन को रिसीब करना जरूरी नहीं समझा जिससे उनकी इन मामलों में क्या प्रतिक्रिया हो सकती है इसकी जानकारी नहीं हो सकी।

432 ग्राम पंचायतों में 52,307 मजदूरों को मनरेगा योजना में दिया जा रहा काम
उरई। जिले की 575 ग्राम पंचायतों में से 432 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां पर मनरेगा योजना में गांव के मजदूरों को धुआंधार तरीके से रोजगार के अवसर मुहैया कराये जा रहे हैं। जिसमें डकोर विकासखंड की 77 ग्राम पंचायतों में से 50 गांवों में 3050 मजदूरों को काम दिया जा रहा है। जालौन की 62 ग्राम पंचायतों में से 54 ग्राम पंचायतों में 5801 मजदूरों को मनरेगा योजना में काम मिल रहा। कदौरा विकासखंड में 71 ग्राम पंचायतों में से 63 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां 10 हजार 39 मजदूरों को काम पर लगाया गया। जबकि कोंच विकासखंड की 62 ग्राम पंचायतों में से 43 ग्राम पंचायतों में महज 2697 मजदूरों को गांव में ही रोजगार अवसर दिया जा रहा है। कुठाैंद विकासखंड की 67 ग्राम पंचायतांे में 56 ग्राम पंचायतों में 5040 मनरेगा मजदूरों को काम दिया जा रहा। माधौगढ़ विकासखंड की 57 ग्राम पंचायतों में से 28 ग्राम पंचायतों में 3225 मजदूरों को गांव में ही मजदूरी दी जा रही है। महेबा विकासखंड की 59 ग्राम पंचायतों में से 56 ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में धुआंधार तरीके से मनरेगा योजना में काम दिया जा रहा है इस तरह से देखा जाये तो 10 हजार 642 मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। इसीक्रम में नदीगांव विकासखंड की 76 ग्राम पंचायतों में से 55 ग्राम पंचायतो ंमें 9,572 मनरेगा मजदूरों को काम देना दर्शाया जा रहा है जबकि रामपुरा विकासखंड की 44 ग्राम पंचायतों में 27 ग्राम पंचायतों में 2241 मजदूरों को काम दिया जा रहा है। यह जानकारी मनरेगा साइड पर अपलोड की जा रही है। लेकिन जिले के नौ विकासखंडों में मनरेगा योजना में जो कागजी आंकड़ेबाजी का खेला चल रहा है वह जमीनी हकीकत से कोसों दूर होने का दावा गांवों के ग्रामीण करने से नहीं चूक रहे हैं।

डकोर, जालौन, कुठौंद, रामपुरा, माधौगढ़ व नदीगांव में मनरेगा में हो रहा गोलमाल
उरई। मनरेगा ऐसी योजना है जिसका लाभ लेने के लिये जहां ग्राम पंचायत हमेशा ही सक्रिय नजर आती हैं तो वहीं क्षेत्र पंचायतों के जिम्मेदार को मौका मिलता है तो वह भी भ्रष्टाचार रूपी गंगोत्री में डुबकी लगाने से नहीं चूकते हैं। वर्तमान में समूचे जनपद के विकासखंडों में मनरेगा योजना पूरे शबाब पर चल रही है। फिर चाहे रामपुरा, माधौगढ़ विकासखंड हो या फिर कुठौंद, जालौन, डकोर व नदीगांव विकासखंड के ग्रामीणांचल का मामला हों जिन ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में काम करने का डंका पीटा जा रहा हैं वह जमीनी हकीकत से कोसों दूर बतायी जा रही है। यह दावा ऐसे गांवों के ग्रामीण दबी जुबान से स्वीकार करते हैं लेकिन वह ऐसे मामलों की शिकायत करने से इसलिये बचते हैं कि क्योंकि शिकायतें करने के बाद भी ऐसे मामलों में प्रायः कार्यवाही के नाम पर हीलाहवाली ही की जाती है।






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