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मंडल के राजकीय फल संरक्षण केंद्र दो कर्मियो के सहारे

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हमीरपुर, चित्रकूट धाम मंडल में संचालित खाद्य प्रसंस्करण विभाग के राजकीय फल संरक्षण केंद्रों में कर्मचारियों का टोंटा हो गया है। जिसके चलते मंडल के चार जिलों का कार्य दो कर्मचारियों के कंधों पर आ जाने से दो कार्यालय खुलते हैं तो दो में ताला पड़ा रहता है। जिससे आम जनमानस को फल-सब्जियों के संरक्षण का कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है।
आम जनमानस के मौसमी फलों को संरक्षित कराने के लिए चित्रकूट धाम मंडल में हमीरपुर, महोबा, बांदा व चित्रकूट में खाद्य प्रसंस्करण विभाग के राजकीय फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्र संचालित है। जिससे स्थानीय लोगों को अचार, मुरब्बा, जैम, जैली, टमाटर सास, कैचप, चिल्ली, विभिन्न प्रकार के शर्बत बनवाकर उपयोग करने का अवसर मिलता था। साथ ही इस विभाग के जरिये लोगों को स्वरोजगारी बनाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण भी चलाये जाते थे। कार्यालयों में पर्याप्त स्टाफ भी होता था। मगर समय के साथ कर्मचारियों की कमी होने लगी जिससे लोगों को फलों को संरक्षित कराने का लाभ भी कम ही मिल पाता है
हमीरपुर मुख्यालय में संचालित राजकीय फल संरक्षण केंद्र में वर्तमान में पूरा विभाग एक पर्यवेक्षक के सहारे चल रहा है। इसके साथ इनके पास बांदा कार्यालय का भी चार्ज है। जबकि यहां पर प्रभारी, सहायक प्रभारी, दो सुपरवाइजर व तीन परिचर के पद सृजित है। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या कार्यालय की निगरानी की है। कल्पवृक्ष परिसर में सन्नाटे में स्थित कार्यालय में चोरी का भय बना रहता है। वर्तमान समय में पर्यवेक्षक हरिओम आर्या पर जहां हमीरपुर व बांदा की जिम्मेदारी है। वहीं चित्रकूट में तैनात धीरेंद्र भारतीय की चित्रकूट में तैनाती है। इसके अलावा इन पर महोबा कार्यालय की भी जिम्मेदारी है

भवन भी हुआ जर्जर
तीन दशक पूर्व बने राजकीय फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्र की वर्षों से मरम्मत न होने से भवन जर्जर हो गया है। कार्यालय परिसर में लगे दरबाजे व खिड़कियां सड़ चुके हैं। मगर मरम्मत की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि स्टीमेट बनवाकर मंडलीय अधिकारी को प्रेषित किया जा चुका है


कार्यालय भवन की मरम्मत के लिए 11.89 लाख का स्टीमेट बनवाकर भेजा था। मगर स्वीकृत न होने से मरम्मत नहीं हो सकी। साथ ही अकेले कर्मचारी होने के बाद बांदा का अतिरिक्त चार्ज मिला होने से कभी बांदा तो कभी तैनाती स्थल पर दौड़ भाग बनी रहती है
हरिओम आर्या, पर्यवेक्षक राजकीय फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्र।

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