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व्यक्तिगत लाभ नहीं, देश हित में कार्य करें: राज्यपाल
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- दैनिक लोक भारती
- 28 May, 2025
लखनऊ। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन, लखनऊ में नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा आयोजित ईज ऑफ डूइंग रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट विषयक दो दिवसीय परामर्श बैठक का समापन हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि अनुसंधान और विकास किसी भी राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार होता है। यदि किसी देश को आत्मनिर्भर बनाना है, उसे वैश्विक मंच पर अग्रणी स्थान दिलाना है, तो हमें अनुसंधान के क्षेत्र में ठोस और दूरगामी कदम उठाने होंगे। अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में आ रही समस्याओं को चुनौती के रूप में लेने की आवश्यकता है। चुनौतियाँ ही हमें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती हैं। यदि किसी नीति में कोई बाधा आ रही है, तो उस नीति में आवश्यकतानुसार समय के अनुसार परिवर्तन किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि जो लोग अनुसंधान से जुड़े हुए हैं, उन्हें चाहिए कि वे अपनी समस्याओं की स्पष्ट सूची बनाएं, और उन समस्याओं को लेकर संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों से भेंट करें। उन समस्याओं पर गम्भीर विचार-विमर्श हो, समाधान खोजे जाएँ और जहाँ आवश्यक हो, वहाँ पर प्रणालीगत सुधार किए जाएँ। यदि हम अपने अनुसंधान संस्थानों को पूरी तरह सक्षम, स्वायत्त और परिणामोन्मुखी बनाएंगे, तो न केवल हमारी उच्च शिक्षा व्यवस्था सशक्त होगी, बल्कि भारत को वैश्विक अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि अनुसंधान का उद्देश्य केवल अकादमिक उपलब्धि तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसका सीधा लाभ समाज और राष्ट्र को मिलना चाहिए।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र तीन में संस्थागत तंत्र को सुदृढ़ बनाकर अनुसंधान एवं विकास को सुगम बनाना विषय पर बोलते हुए सी0एस0आई0आर0-एन0बी0आर0आई0 लखनऊ के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी ने एक सक्षम संस्थागत अनुसंधान वातावरण विकसित करने हेतु स्पष्ट दृष्टिकोण, दीर्घकालिक एवं लघुकालिक लक्ष्यों की पहचान, विभिन्न विभागों के सहयोग से अंतरविषयी अनुसंधान, युवा नेतृत्व को सशक्त बनाना, वैज्ञानिकों को स्वायत्तता, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन, नवीनतम तकनीकों की उपलब्धता आदि सुनिश्चित करने की बात कही।
प्रो. शुभिनी ए. सराफ, डायरेक्टर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एंड एजुकेशन रिसर्च, रायबरेली ने कहा कि अनुसंधान में विभिन्न विभागों के बीच सहयोग बढ़ाकर क्लस्टर बनाना जरूरी है। नियमित बैठकें और साझा लक्ष्यों के साथ ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम करना चाहिए जो समाज या विज्ञान में बड़ा प्रभाव डालें। उद्योग, सरकार और शैक्षणिक संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल से वित्तीय और अवसंरचनात्मक समस्याएं कम हो सकती हैं। साथ ही, शोध संसाधनों का साझा उपयोग और उद्योग के साथ सहयोग से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
आईसीएआर - डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पुसा, बिहार से आए डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास को सुगम बनाने के लिए संस्थागत वातावरण को सरल और प्रभावी बनाना आवश्यक है। बजट, संसाधन और परियोजनाओं का उचित वितरण हो, साथ ही नवाचार को खुले मन से स्वीकार किया जाए। प्रशासनिक जटिलताओं को कम कर शोधकर्ताओं को अधिक स्वतंत्रता देनी चाहिए। उन्होंने इंटरडिसिप्लिनरी सहयोग, वैज्ञानिक संस्कृति, प्रशिक्षण और मान्यता को भी महत्वपूर्ण बताया ताकि शोध कार्य की गुणवत्ता और प्रभावशीलता बढ़ सके।
डीआरडीओ-डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड टेस्ट सेंटर, लखनऊ के डॉ. अशीष दुबे ने डीआरडीओ की पहलों को साझा करते हुए कहा कि अनुसंधान और विकास को सुगम बनाने के लिए सहयोगी शोध पर जोर दिया जा रहा है और उत्पाद विकास को परिपक्व करने के लिए संगठनीय बाधाओं को दूर किया जा रहा है। उन्होंने अकादमिक और औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने, वैज्ञानिकों की समय-समय पर नियुक्ति, परियोजना के लिए फंड वृद्धि, गुणवत्ता युक्त उत्पादों की उपलब्धता और संविदात्मक वैज्ञानिक कर्मचारियों की भर्ती को आवश्यक बताया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए सीएसआईआर की डायरेक्टर जनरल और डीएसआईआर की सचिव डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने उत्तर प्रदेश को अद्वितीय राज्य की संज्ञा देते हुए राज्यपाल के प्रति आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल, डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने उत्तर प्रदेश राज्य में इस परामर्श बैठक की शुरुआत को सराहनीय पहल बताया। इस अवसर पर सचिव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग प्रो0 मनीष आर0 जोशी, वरिष्ठ सलाहकार नीति आयोग प्रो0 विवेक कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, विविध शोध संस्थानों से पधारे निदेशक एवं प्रतिनिधिगण आदि उपस्थित थे।
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