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मिश्री पुर गांव के बाहर निर्जन स्थान पर प्राचीन त्रिसरा देव शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है यहां सावन के माह भक्तगण पूजा करते हैं

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कुरारा,हमीरपुर 16 जुलाई विकास खंड क्षेत्र के मिश्रीपुर गांव के बाहर निर्जन स्थान पर प्राचीन पर त्रिसरा देव शिव मंदिर में सावन माह में भक्त गण पूजा अर्चना करते है।यह मंदिर राजा बलि के राज में यज्ञ के दौरान निर्मित किया गया था। आसपास के गांवों के लोगों की इस मंदिर में अपार आस्था है
 हर वर्ष में एक बार इस स्थान पर ग्रामीणों के सहयोग से यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
क्षेत्र के मिश्रीपुर गांव से एक किलोमीटर दूर निर्जन स्थान पर प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। उत्तर वाहिनी यमुना नदी के किनारे पाताली शिवमन्दिर में लोगों की अपार आस्था है। तथा सावन माह में भक्तों द्वारा रुद्राभिषेक किया जाता है।
इस प्राचीन मंदिर के संबंध में मंदिर के पुजारी गिरजादास त्यागी ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन समय में मूसानगर में राजा बलि के राजधानी है।राजा ने सौ यज्ञ करने का निश्चित किया था। 99 यज्ञ पूरे होने के बाद सौवें यज्ञ को सम्पन्न करने के लिए राजा बलि ने महाज्ञानी रावण को आमंत्रित किया था तब रावण ने अपने वंशज त्रिसरा को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिए भेज दिया।इसके ठहरने के लिए राजा बलि ने मिश्रीपुर के पास निर्जन स्थान पर स्थान दिया था।रावण संहिता के अनुसार रावण के वंशज जहां भी जाते थे। वहां अपना शिवलिंग स्थापित कर पूजा करते थे।इस स्थान पर अर्धनारीश्वर के रूप में शिव पार्वती प्रतिमा प्रकट हुई थी। त्रिसरा ने उनको प्रसन्न करने के लिए  महिषासुर का सिर काट कर स्थापित किया था। ऐसे में महिषासुर के गले में पड़ी माला की गिनती नहीं हो पाती है। इस स्थान को राजा बलि के शासन काल का स्थान माना जा रहा है।
 मिश्रीपुर गांव के मजरा सिमरा में वामन भगवान का मंदिर है। राजा बलि के समय का ही बिलौटा गांव है। राजा बलि यहां लेटा था। अपभ्रंश होकर इस स्थान का नाम बिलौटा हो गया है। बरुवा गांव भी यमुना नदी किनारे बसा है। जो राजा बलि के शासन के समय का है। मूसानगर में राजा बलि के किले के अवशेष आज भी मौजूद हैं।
जहां आज भी गया करने वाले पहले पिंडदान करके ही आगे जाते हैं। ग्रामीण बताते है कि सौ यज्ञ पूरे हो जाते तो गया धाम यही बन जाता 

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