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कपिल सिब्बल ने कहा नया कानून छीन रहा लोगों की आस्था का अधिकार

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केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। इस कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं लगाई गई हैं।

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:सिब्बल ने कहा- नया कानून 20 करोड़ लोगों की आस्था का अधिकार छीन रहा, खामियां गिनाईं

कपिल सिब्बल: हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?

CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।'

CJI खन्ना ने कहा, 'हम दोनों पक्षों से दो पहलुओं पर विचार करने के लिए कहना चाहते हैं। सबसे पहले, क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए या इसे हाईकोर्ट को सौंप देना चाहिए? दूसरा, संक्षेप में बताएं कि आप वास्तव में किस मुद्दे पर क्या कहना चाह रहे हैं?

CJI खन्ना: याचिकाओं के निपटान के लिए हाईकोर्ट को कहा जा सकता है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने, फैसला करने में सुप्रीम कोर्ट पर कोई रोक है। वह कानून पर रोक लगाने के पहलू पर कोई दलील नहीं सुन रहे थे।

वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी: वक्फ का इस्तेमाल इस्लाम की स्थापित परंपरा है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: संसद में संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था। इस पर विस्तार से चर्चा हुई। सभी की राय ली गई। जेपीसी ने 38 बैठकें कीं, संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे पारित करने से पहले 98.2 लाख ज्ञापनों की जांच की।

संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की। तब से इसका लगातार विरोध हो रहा है।

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