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दिल्ली में पुराने वाहनों पर फ्यूल बैन को लेकर बढ़ा विवाद, सरकार ने CAQM को लिखा पत्र, फैसला अब भी बरकरार

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने पर रोक का फैसला अब सियासत और भ्रम का विषय बन गया है। 1 जुलाई से लागू हुए इस आदेश को लेकर 3 जुलाई तक हालात ऐसे बन गए कि दिल्ली सरकार खुद इसे वापस लेने की बात करने लगी। हालांकि, आदेश अब भी लागू है, क्योंकि अंतिम फैसला वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को लेना है।हां, फिलहाल CAQM का पुराना आदेश ही प्रभावी है। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को आयोग को पत्र लिखकर ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ (EOL) वाहनों पर लगे फ्यूल बैन को स्थगित करने की मांग की थी। हालांकि, आयोग की ओर से अभी तक इस पर कोई नई अधिसूचना जारी नहीं हुई है।CAQM सूत्रों के मुताबिक, मंत्री का पत्र मिल गया है और उसे समीक्षा के लिए रखा गया है। आयोग उसके तकनीकी और कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर रहा है। तब तक पुराना आदेश लागू रहेगा।इस फैसले के बीच एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि अब तक जब्त हो चुकी पुरानी गाड़ियों का क्या होगा?इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई स्पष्टता नहीं है। दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “इस पर बात हो रही है… अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।” सराय काले खां में जब्त की गई एक मर्सिडीज कार अब भी वहीं खड़ी है, जो इस असमंजस की स्थिति का प्रतीक बन चुकी है।पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को लिखे पत्र में कहा कि ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) कैमरे पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। कई जगहों पर सेंसर खराब, स्पीकर बंद, और डेटा इंटीग्रेशन में खामियां हैं। यह सिस्टम HSRP नंबर प्लेटों की सही पहचान नहीं कर पा रहा। अभी तक गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद जैसे एनसीआर शहरों में ऐसा कोई आदेश लागू नहीं हुआ है, जिससे दिल्ली के वाहन मालिकों के साथ अन्याय हो रहा है।इस मुद्दे पर राजनीतिक टकराव भी तेज हो गया है। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा “बीजेपी सरकार ने जनता पर तुगलकी फरमान थोपा, जिसका जनता और आप ने मिलकर विरोध किया और सरकार को झुकना पड़ा। यह जन-आंदोलन की जीत है।”

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